Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -09-Sep-2022 हो रहे हैं अत्याचार

शीर्षक-हो रहे हैं अत्याचार
विषय-मानव धर्म

कलयुग का बढ़ रहा प्रसार,
दिनदहाड़े हो रहे अपराध,
मानव धर्म का भूल गया संताप।
निरंतर बढ़ रहा है पाप।

घर में घुस गया मुसलमान,
एक मासूम को जिंदा जला दिया,
उसके घर का दीपक बुझा दिया,
दुनिया से ही कर दिया रुकसत।

कब तक झलेगी ये लड़कियां,
रोज सुनने को मिलती है सनसनीया,
कभी आरुषि, तो कभी अंकिता,
जिंदा जलाकर करदी हत्या।

मानव रोज भूल रहा अपना धर्म,
भूल रहा है अपना मर्म,
रोज करता बलात्कार,
फिर भी घूमता सरेआम।

आज एक लड़की को जिंदा जला डाला,
कब बताएगा कानून ऐसी सजा,
सड़क पर ही मिले उसे वही सजा,
जो गुनाह किया उसने मिले वहीं सजा।

रोज बढ़ रही है यह घटनाएं,
दोषी को दो ऐसी यातनाएं,
जो जिंदगी भर ना भूल पाए,
गुनाह करने से पहले हाथ कांप जाए।

किसी की बेटी तो किसी की बहन,
हे पापी! फिर क्यों नहीं तुझमें रहम,
क्यों भूल गया तू मानव धर्म,
क्यों  किये तूने ऐसे घिनौने कर्म।

मौत दी तूने उसको भयानक,
तेरी रूह से ना आई आवाज,
क्यों कर रहा है यह पाप,
जरा तो सुनता उसकी आवाज।

मोमबत्ती जलाकर करते प्रचार,
भारत बंद करके करते हड़ताल,
अखबार में रिपोर्ट करके करते प्रसार,
इससे कुछ नहीं होगा आज।

मानव भूल गया है धर्म आज,
खड़ा होकर देखता तमाशा आज,
आंखें मुंह बंद करके वीडियो का करता प्रसार।
कोई नहीं उठाता आवाज आज।

दो उस परिवार का साथ,
निभाओ अपनी मानवता
परिवार का बंधाओ ढाढस,
मांगो उस परिवार के लिए इंसाफ।

मानव धर्म का निभाओ फर्ज,
धरती माता का चुकाओ कर्ज,
मानवता का निभाओ धर्म,
वह तुम सब मिलकर आगाज,
अत्याचारीओ का करेंगे पर्दाफाश।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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11 Comments

Punam verma

10-Sep-2022 08:51 AM

Nice

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Ajay Tiwari

10-Sep-2022 08:31 AM

Very nice

Reply

Abhinav ji

10-Sep-2022 08:12 AM

Nice

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